संक्रामक रोग से बचने के उपाय - An Overview



समिति, शिशुओं और प्राथमिक विद्यालयों के बच्चों को भी टीका लगाने की अपील कर रही है।

नीगाता विश्वविद्यालय के प्राध्यापक साइतो आकिहिको का कहना है कि हल्के लक्षण होने की स्थिति में संक्रमित हो जाने मात्र से पर्याप्त प्रतिरोधक क्षमता विकसित नहीं होती। उन्होंने कहा कि यह तथ्य अच्छी तरह से ज्ञात है कि नये कोरोनावायरस के ख़िलाफ़ एंटीबॉडी की मात्रा समय के साथ घट जाती है। साइतो का कहना है कि संक्रमित होने के बाद टीका लगाने से शरीर में पर्याप्त प्रतिरोधक क्षमता सुनिश्चित की जा सकती है। जहाँ तक टीका लगाने के समय का प्रश्न है, उसे लक्षण कम होने के बाद बच्चे का स्वास्थ्य सामान्य होने पर लगाया जा सकता है।

प्यूबिक लाइस : यह परजीवी शरीर के बालों, बिस्तर, टावेल, कपड़ों इत्यादि द्वारा भी अनजाने में फैल जाता है।

श्वास के माध्यम से फैलने वाले संक्रामक रोग :

*यदि उनमें बुखार और खाँसी जैसे लक्षण हैं, तो उन्हें अपने परिचित डॉक्टरों या ऐसे चिकित्सा संस्थानों से परामर्श करना चाहिए जो कोरोनावायरस की जाँच और चिकित्सा देखभाल उपलब्ध करा सकें।

विकिमीडिया कॉमन्स, बर्नार्ड ड्यूपॉन्ट

अगर ट्यूबरकुलोसिस के इलाज के लिए लिखी गई दवाओं से आपको कुछ साइड-इफेक्ट महसूस होते हैं, जैसे खुजली, त्वचा के रंग में बदलाव, दृष्टि में परिवर्तन, थकान या अत्याधिक थकान महसूस होना आदि। ऐसी स्थिति में तुरंत अपने डॉक्टर से संपर्क करें।

जुलाई में तोक्यो महानगर आयुर्विज्ञान संस्थान ने चौथी ख़ुराक प्राप्त कर चुके स्वास्थ्य कर्मियों से एकत्र किये रक्त के नमूनों में वायरस-नाशक एंटीबॉडी के स्तर के आँकड़े प्रकाशित किये।

कोरोनावायरस उपायों के प्रभारी मंत्री यामागिवा दाइशिरो ने कहा कि जापान में पतझड़ और शीतऋतु के दौरान संक्रमण की आठवीं लहर आ सकती है। उन्होंने चेतावनी दी कि इस दौरान कोरोनावायरस संक्रमण और ज़ुकाम का प्रकोप एक साथ फैल सकता है। उन्होंने ऐसी स्थिति में उचित प्रबंधन सुनिश्चित करने के लिए सावधानीपूर्वक तैयारी का आह्वान किया। उन्होंने कहा, "इससे निपटने के तरीकों पर व्यापक चर्चा करते हुए ठोस योजना बनाना होगी।" साथ ही आश्वासन दिया कि वह समय के साथ विशेषज्ञों से सलाह लेते हुए इसके सामाजिक प्रभावों पर विचार करेंगे।

संक्रामक रोगों के नियंत्रण के लिए किए जाने वाले उपायों को निम्न प्रकार से वर्गीकृत किया जा सकता है-

हड्ड‍ियों को स्‍वस्‍थ रखने के ल‍िए डॉक्‍टर, बोन डेन्‍स‍िटी टेस्‍ट कराने की सलाह देते हैं। इस जांच से यह पता चलता है क‍ि आपकी हड्ड‍ियां क‍ितनी website मजबूत हैं। टेस्ट के जर‍िए इस बात का आंकलन क‍िया जाता है क‍ि कहीं भव‍िष्‍य में हड्डि‍यों का फ्रैक्‍चर होने का खतरा तो नहीं है। बोन डेन्‍स‍िटी कम होने से हड्ड‍ियों की बीमारी जैसे- ऑस्टियोपोरोसिस होने का खतरा भी बढ़ जाता है।    

दूसरी ख़ुराक लेने के बाद के वायरस-नाशक एंटीबॉडी का स्तर तीसरी ख़ुराक के बाद के स्तर के औसत से अधिक रहा। लेकिन विभिन्न व्यक्तियों के बीच इस आँकड़े में काफ़ी अंतर पाया गया। हालाँकि, चौथी ख़ुराक के बाद सभी लोगों में वायरस-नाशक एंटीबॉडी का स्तर बढ़ा पाया गया।

आवश्यकता पड़ने पर उपचार को चार से नौ महीने या उससे अधिक समय तक जारी रखना। इस समय के दौरान सेंसिविटी टेस्ट के रिजल्ट के आधार पर कई दवाओं का इस्तेमाल किया जाता है।

जापान के स्वास्थ्य मंत्रालय का कहना है कि एमआरएनए विघटित हो जाएगा और मानव शरीर से मिनटों में या कुछ दिनों में बाहर निकल जाएगा। मंत्रालय का यह भी कहना है कि टीके में एमआरएनए को अनुवंशिक गुण रखने वाले मानव डीएनए में नहीं जोड़ा जाएगा। मानव शरीर के डीएनए से स्वयं का एमआरएनए पैदा होता है लेकिन अनुवंशिक गुण तो दूर की बात हैं, एमआरएनए से तो डीएनए ही नहीं बन सकता।

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